
महाराष्ट्र की राजनीति में सस्पेंस, इमोशन और री-यूनियन का ट्रेलर चल रहा है। राज ठाकरे 13 साल बाद मातोश्री पहुंचे और उद्धव ठाकरे को उनके 65वें जन्मदिन की बधाई दी। लेकिन सवाल यह है — क्या केक के साथ गठबंधन की परत भी कटी?
शुद्ध पारिवारिक मिलन या छुपी सियासी डील?
राज ठाकरे का अचानक मातोश्री पहुंचना वैसा ही है जैसे कोई पुराना रिश्तेदार अचानक शादी में आ जाए — और फिर सब सोचने लगें कि “क्या फिर से रिश्ता जुड़ने वाला है?”
उद्धव ने राज को फूलों का गुलदस्ता दिया, और शिवसैनिकों ने नारे लगाए — “एक ठाकरे, दूसरा ठाकरे — अब सियासत में नहीं कोई फाके रे!”
राज बोले — सही वक्त आएगा, तब बताएंगे!
राज ठाकरे ने मुलाकात के बाद कहा:
“अभी सिर्फ बधाई देने आया हूं, गठबंधन पर बाद में बात होगी।”
यानि साफ है — राज बर्थडे कार्ड तो दे आए हैं, लेकिन राजनीतिक ग्रीटिंग अभी बाकी है!
BMC और विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट
मुलाकात को लेकर कयास इसलिए भी गर्म हैं क्योंकि आने वाले हैं:
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BMC चुनाव
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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव
राज और उद्धव अगर साथ आते हैं, तो मराठी वोट बैंक में बड़ा फेरबदल हो सकता है। और फिर भाजपा की नींद हराम होना तय है।
सज गया मंच, जमा हो गई भीड़, स्क्रिप्ट भी लगती है रेडी!
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मंच मातोश्री पर लगाया गया था।
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मनसे और शिवसेना (UBT) के दिग्गज नेता मौजूद थे।
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फोटोज वायरल और राजनीतिक विश्लेषक सतर्क।
कुल मिलाकर राजनीतिक सीरीज़ का नया एपिसोड शुरू हो चुका है, अब देखना है — “सीज़न वन में भाई बिछड़े थे, क्या सीज़न टू में मिलेंगे?”
राजनीति में दोस्ती, दुश्मनी और बधाई सब कुछ टाइमिंग पर निर्भर करता है। अभी बयान भले ही हल्के हों, लेकिन असर भारी पड़ सकता है।
राज ठाकरे की मातोश्री वापसी ने न सिर्फ भावनाओं को झकझोरा, बल्कि राजनीतिक हलकों को भी अलर्ट मोड में डाल दिया है। क्या वाकई ठाकरे बंधु राजनीति में एकसाथ कदम मिलाएंगे या ये सिर्फ “मर्यादित बधाई” थी — यह आने वाला समय बताएगा।
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